Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi, रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय, रामधारी सिंह दिनकर की रचनाएं।
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम रामधारी सिंह दिनकर जी का जीवन परिचय बताएंगे। रामधारी सिंह दिनकर की रचनाएं (Ramdhari singh Dinkar Books) भी बताएंगे। आइये पढ़ते हैं रामधारी सिंह दिनकर जीवनी हिंदी में (Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi).
Contents
- 1 Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi- रामधारी दिनकर जीवनी
- 1.1 रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय महत्वपूर्ण बिंदु (Important Points of Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi)
- 1.2 प्रसिद्ध कवि व लेखक रामधारी सिंह दिनकर की जीवनी – Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi
- 1.3 रामधारी सिंह दिनकर की रचनाएं (Ramdhari Singh Dinkar Books in Hindi)
- 1.4 रामधारी सिंह दिनकर जी की भाषा शैली -Ramdhari singh Dinkar Biography in Hindi
- 1.5 रामधारी सिंह दिनकर जी का साहित्य में स्थान
- 1.6 Related
Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi- रामधारी दिनकर जीवनी
रामधारी सिंह दिनकर जी का जीवन परिचय पढ़ने से पहले नीचे दी हुई टेबल से संक्षिप्त जीवन परिचय पढ़ लें फिर आगे विस्तार से पढ़ें। ऐसे में होगा क्या कि आपको महत्वपूर्ण बिंदु ध्यान हो जाएंगे। तो आप रामधारी सिंह दिनकर जी के बारे में कभी भी कहीं भी लिख सकते हो और किसी को बता सकते हो।
रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय महत्वपूर्ण बिंदु (Important Points of Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi)

जन्म | सन 1908 ई. |
जन्मस्थान | ग्राम- सिमरियाघट, जिला-मुंगेर (बिहार) |
मृत्य | सन 1978 ई. |
रचनाएं | निबंध संग्रह- मिट्टी की ओर, उजली आग, रेती के फूल, अर्धनारीश्वर। काव्यग्रन्थ- रेणुका, हुंकार, रूपवंती, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, उर्वशी, परशुराम की प्रतीक्षा आदि। आलोचना- शुद्ध कविता की खोज |
भाषा | शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली |
शैली | विवेचनात्मक, भावात्मक, समीक्षात्मक, सूक्तिपरक। |
साहित्य में स्थान | समर्थ कवि एवं गद्यकार |
प्रसिद्ध कवि व लेखक रामधारी सिंह दिनकर की जीवनी – Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi
रामधारी सिंह दिनकर जी की दीप्ति केवल काव्य में ही नही अपितु गद्य में भी थे। रामधारी सिंह दिनकर जी प्रसिद्ध कवि के साथ-साथ श्रेष्ठ निबंधकार, विचारक व समीक्षक भी थे।
रामधारी सिंह दिनकर जीवनी: रामधारी सिंह दिनकर जी का जन्म बिहार राज्य के मुंगेर जिले के सिमरिया नामक ग्राम में सन 1908 ई. को हुआ था। इनकी अल्पायु में ही इनके पिता का देहांत हो गया था।
शिक्षा: इन्होंने मोकामघाट से मैट्रिक (हाई स्कूल) की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद पटना विश्वविद्यालय से बी. ए. ऑनर्स की परीक्षा उत्तीर्ण की।
बी. ए. ओनर्स करने के बाद रामधारी सिंह दिनकर जी एक वर्ष तक मोकामघाट के हाइस्कूल में प्रधानाचार्य रहे। उसके बाद 1934 में ये सरकारी नौकरी में आये और 1943 में ब्रिटिश सरकार के युद्ध प्रचार विभाग के उपनिदेशक नियुक्त हुए।
कुछ समय बाद मुजफ्फरपुर कॉलेज में हिंदी विभागाध्यक्ष के पद पर नियुक्त हुए। 1952 ईस्वी में आपको भारत के राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा का सदस्य मनोनित किया गया, जहां 1962 ईस्वी तक रहे। सन 1963 इसी में आपको भागलपुर विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया गया। रामधारी सिंह दिनकर जी ने भारत सरकार की हिंदी समिति के सलाहकार और आकाशवाणी के निदेशक के रूप में भी कार्य किया।
दिनकर जी में काव्य प्रतिभा जन्म जात थी अतः बचपन में ही इसका परिचय दे दिया था। जब वे मिडिल कक्षा में पढ़ते थे तभी ‘वीरबाला’ नामक काव्य लिखा था। मैट्रिक में पढ़ते समय इन्होंने का प्रण भंग नामक काव्य प्रकाशित करवाया था।
1959 ईसवी में रामधारी सिंह दिनकर जी को पद्म भूषण की उपाधि से अलंकृत किया गया। ज्ञानपीठ एवं साहित्य अकादमी पुरस्कारों से भी ये सम्मानित किए गए। इस प्रकार जीवन के अंत तक साहित्य साधना में रत रहकर सन 1974 ईस्वी में संसार से विदा हो गए।
रामधारी सिंह दिनकर की रचनाएं (Ramdhari Singh Dinkar Books in Hindi)
हिंदी साहित्याकाश में रामधारी सिंह जैसे ‘दिनकर’ का उदय एक कवि के रूप में हुआ। बाद में गद्य के क्षेत्र में भी इनकी सेवाएं स्तुत्य रही। उनकी रचना निम्नलिखित है।
1- काव्यग्रंथ– रेणुका, हुंकार, कुरुक्षेत्र, सामधेनी, रश्मिरथी, उर्वशी, परशुराम की प्रतीक्षा, रसवंती आदि।
2- निबंध संग्रह– मिट्टी की ओर, अर्धनारीश्वर, उजली आग, रेती के फूल आदि।
3- आलोचना ग्रंथ– शुद्ध कविता की खोज
4- संस्कृति और दर्शन ग्रंथ- संस्कृति के चार अध्याय एवं भारतीय संस्कृति की एकता
रामधारी सिंह दिनकर जी की भाषा शैली -Ramdhari singh Dinkar Biography in Hindi
भाषा- दिनकर जी की भाषा शुद्ध साहित्य खड़ी बोली है।जिसमें संस्कृत उर्दू फारसी और अंग्रेजी की प्रचलित शब्दों का प्रयोग हुआ है उनकी भाषा के दो रूप है-
- संस्कृतनिष्ठ भाषा
- व्यवहारिक भाषा
शैली- दिनकर जी ने अपनी रचनाओं में जिन शैलियों का प्रयोग किया है, इस प्रकार हैं:
- विवेचनात्मक शैली
- भावात्मक शैली
- समीक्षात्मक शैली (आलोचनात्मक शैली)
- सूक्तिपरक शैली
रामधारी सिंह दिनकर जी का साहित्य में स्थान
क्रांति का बिगुल बजाने वाले दिनकर जी कवि ही नहीं अपितु एक सफल पत्रकार भी थे। संस्कृति के चार अध्याय एवं शुद्ध कविता की खोज जैसी कृतियों में उनके महान चिंतक एवं मनीष जी का रूप प्रतिबिंबित है जो उन्हें हिंदी साहित्यकार का वस्तुतः दिनकर सिद्ध करता है। राष्ट्रीय भावनाओं से ओत प्रोत उनकी कृतियां हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि हैं।
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